चीनी नहीं जहर खा रहे हैं आप

चीनी नहीं जहर खा रहे हैं आप

डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल

भारतीय प्राचीन खान पान व्‍यवस्‍था में चीनी और उससे बने सामानों की खास जगह रही है। कुछ राज्‍यों में मुख्‍य भोजन में भी मीठा मिलाने की परंपरा अभी तक बनी हुई है। बिहार-बंगाल, उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्‍थान आदि राज्‍यों में कोई भी सार्वजनिक उत्‍सव बिना मिठाई के पूरा नहीं होता। इसे देखते हुए ये कोई आश्‍चर्य की बात नहीं लगती कि भारत दुनिया में ब्राजील के बाद चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक और इस्‍तेमाल के मामले में नंबर एक है। भारतीय शुगर ट्रेड इंडस्‍ट्री के आंकड़े इस तथ्‍य की पुष्टि करते हैं।

हालांकि खान-पान में चीनी का इतना इस्‍तेमाल डॉक्‍टरों के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है क्‍योंकि सुक्रोज जैसी परिष्‍कृत सफेद चीनी या फि‍र कॉर्न सीरप, जिसमें ज्‍यादा मात्रा में फ्रुक्‍टोज होता है, उच्‍च कैलोरी से युक्‍त होते हैं जबकि उनमें जरूरी पोषण शून्‍य होता है। तय मात्रा से 10 से 20 फीसदी ज्‍यादा चीनी खाना सेहत पर उल्‍टा असर छोड़ता है। इससे पाचन तंत्र खराब होने के साथ-साथ जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियां आपको घेर सकती हैं।

चीनी के साथ सबसे बड़ी समस्‍या ये है कि ये खून ले जाने वाली नलियों की दीवारों में तेज जलन पैदा करने में मदद करता है। अत्‍यधिक चीनी के सेवन के नतीजे में शरीर को इंसुलीन भी ज्‍यादा पैदा करना होता है जो इन नलियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। सिर्फ यही नहीं सफेद चीनी के कारण खून में थक्‍का या प्‍लाक बनने की टेंडेंसी भी बढ़ जाती है। यह सब मिलकर खून की संचार व्‍यवस्‍था में बाधा पैदा करते हैं जो कि हृदय रोग या स्‍ट्रोक का कारण बन सकता है। यही नहीं सफेद चीनी के बारे में हालिया शोधों से यह भी सामने आया है कि इससे तंत्रिका संबंधी समस्‍या भी हो सकती है और कम उम्र में भूलने की समस्‍या पैदा हो सकती है। सफेद चीन से वजन बढ़ता है जो कि मधुमेह को उसके बाद हृदय रोग को न्‍योता देता है।

यह समझने की जरूरत है कि फायबर युक्‍त पदार्थ जैसे कि फलों से मुक्‍त की गई चीनी को फ्री शुगर कहते हैं जिसका सेवन लंबे समय तक करने से खून में अस्थिरता आती है और यह कई बीमारियों को न्‍योता देता है। परिष्‍कृत सफेद चीनी इसी का एक प्रकार है जो कि शरीर के पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है  और खासकर ऐसे लोगों में अधिक जिन्‍हें कार्बोहाइड्रेड पचाने में दिक्‍कत होती है। महिलाओं में सफेद चीनी कई सारे हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती है और इसके परिणाम स्‍वरूप उनके चेहरे पर रोएं निकल सकते हैं और कुछ दुर्लभ मामलों में गर्भाशय संबंधी परेशानी भी हो सकती है। इसलिए बेहतर है कि सफेद चीनी के विकल्‍प के रूप में हम प्राकृतिक मीठे का प्रयोग करें जैसे कि गन्‍ने का रस, शहद और गुड़। ये सभी फायबर से जुड़े होते हैं इसलिए स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छे हैं।

( लेखक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष हैं)

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